One-Sided Friendship; Signs, Side Effects Explained | Relationship | रिलेशनशिप- कहीं आपकी दोस्ती एकतरफा तो नहीं: ऐसी दोस्ती सेहत को पहुंचाती नुकसान, इन 7 संकेतों से करें एकतरफा दोस्त की पहचान

4 दिन पहले

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एकतरफा प्यार के बारे में तो आपने खूब सुना होगा। लेकिन क्या आप ‘एकतरफा दोस्ती’ के बारे में जानते हैं?

स्वाभाविक रूप से आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि भला दोस्ती भी कहीं एकतरफा हो सकती है। इसका जवाब है- बिल्कुल हो सकती है और इसका नुकसान भी एकतरफा प्यार जितना ही होता है। कई बार तो इस तरह की दिखावटी दोस्ती सेल्फ रिस्पेक्ट और दूसरे रिश्तों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगती है।

आज रिलेशनशिप कॉलम में एकतरफा दोस्ती और इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानेंगे। साथ ही यह भी समझेंगे कि ऐसे दोस्तों की पहचान कैसे की जाए और उनसे डील करने का सही तरीका क्या है।

एकतरफा दोस्ती से पड़ती दुश्मनी की बुनियाद

जाने-माने रिलेशनशिप कोच और ‘बिल्ट फैमिलीज फाउंडेशन’ के सीईओ सेथ डैनियल आइजेनबर्ग की मानें तो दोस्ती में एकतरफा इमोशनल इन्वेस्टमेंट आगे चलकर बड़े टकराव की वजह बन सकता है।

बिना बराबरी और स्नेह के दिखावटी दोस्ती रखने से खुद को दोस्त कहने वाले लोगों के मन में एक-दूसरे के प्रति नफरत भरने लगती है। वे खुलकर अपनी बातें नहीं कह पाते। इस वजह से उनके बीच बड़े झगड़े की आशंका बढ़ती जाती है। एकतरफा और दिखावटी दोस्ती दो लोगों में दुश्मनी का बीज डालती है।

गैर-बराबर रिश्तों का इलाज है ‘इगैलिटेरियन पार्टनरशिप’

रिश्ता चाहे किसी भी तरह का हो, अगर उसमें अंश मात्र भी गैर-बराबरी हुई तो वह हेल्दी नहीं रह जाता है। ऐसे रिश्ते से दुख के सिवा कुछ और मिलना भी मुश्किल होता है।

दोस्ती से लेकर रोमांटिक, वैवाहिक, प्रोफेशनल और सोशल रिश्ते भी बराबरी के अभाव में टूटकर बिखर जाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि रिश्ते में आई इस गैर-बराबरी को दूर कैसे किया जाए। एकतरफा दोस्ती को दोतरफा कैसे बनाया जाए। इसका जवाब है- ‘इगैलिटेरियन पार्टनरशिप’।

दरअसल, ‘इगैलिटेरियन पार्टनरशिप’ उन संबंधों को कहा जाता है, जो पूरी तरह समानता की बुनियाद पर विकसित होते हैं। यह किसी भी तरह का रिश्ता या संबंध हो सकता है। शर्त बस इतनी है कि दोनों पार्टनर रिश्ते में समान रूप से इमोशनल इन्वेस्टमेंट करें और उनके बीच एक्टिव या पैसिव जैसी भूमिका न हो।

इस तरह के रिश्ते में पार्टनर्स आपस में सपने, काम, जिम्मेदारी, खर्च, उम्मीद, तनाव और खुशियां सबकुछ बराबरी से बांट लेते हैं। आमतौर पर किसी को फायदा या नुकसान नहीं उठाना पड़ता। यहां जो होता है, बराबर होता है।

दोस्त बनाने और दोस्ती निभाने के कुछ फर्ज भी हैं

एकतरफा दोस्ती की पहचान और इससे होने वाले नुकसान को समझने के बाद सवाल यह उठता है कि खांटी दोस्त कैसे बनाए जाएं।

सोशियोलॉजिस्ट डॉ. जेन यागर दोस्ती और रिलेशनशिप पर कई चर्चित किताबें लिख चुकी हैं। अपनी किताब ‘फ्रेंडजिविटी: मेकिंग एंड कीपिंग द फ्रेंड्स’ में वह बराबरी की बुनियाद पर पनपने वाली टेन्योर्ड फ्रेंडशिप यानी परखी हुई दोस्ती के कुछ लक्षण और इसे निभाने की कुछ शर्ते भी बताती हैं-

  • एक-दूसरे की जरूरत में दोस्त हमेशा मौजूद रहें।
  • दोस्तों के बीच आपस में कुछ भी छिपाने का भाव न हो।
  • दोस्ती में खुलापन हो।
  • दोस्तों को एक-दूसरे की पसंद-नापसंद की सही जानकारी हो।
  • स्नेह वास्तविक हो। दोस्ती में दिखावा या बनावटीपन बिल्कुल भी न हो।
  • दोस्त एक-दूसरे को जज न करें।
  • दोस्ती में असहमति की भी जगह हो।
  • कोई भी खास खबर सबसे पहले दोस्त से साझा करने का दिल करे।
  • दोस्ती में ज्यादा औपचारिकताएं न हों।
  • दोस्त के बुरा मानने या रूठने का डर न लगे।

बराबरी की बुनियाद पर पनपती है ‘टेन्योर्ड फ्रेंडशिप’

जब दोस्ती में गैर-बराबरी की जगह आपसी सहमति हो, स्नेह एकतरफा न होकर दोनों ओर से बराबर हो तो टेन्योर्ड फ्रेंडशिप की शुरुआत होती है।

टेन्योर्ड फ्रेंडशिप यानी दोस्ती का वह स्तर जहां पहुंचने के बाद, दोस्तों के बीच किसी तरह का राज न रह जाए। दोनों एक-दूसरे को बखूबी जानते-समझते हों। एक-दूसरे की खुशियां-गम, अच्छाई-बुराई से भलीभांति परिचित हों। जब दोस्ती इस मुकाम पर पहुंच जाए, जहां औपचारिकताओं और दिखावे की जरूरत न रहे, तब टेन्योर्ड फ्रेंडशिप की शुरुआत होती है।

दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसी दोस्ती जिसकी परख हो चुकी है और जो वक्त की कसौटियों पर खरी उतरी है।

दोस्त कम हों, लेकिन दोस्ती एकतरफा न हो

दुनिया भर की मनोवैज्ञानिक रिसर्चों में साबित हुआ है कि दोस्ती शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों पर सकारात्मक असर डालती है।

वैसे इस बात की तस्दीक करने के लिए हमें किसी रिसर्च की जरूरत नहीं। अपनी दोस्तियों के उदाहरण से ही हम इस रिश्ते के महत्व और गहराई को समझ सकते हैं।

अच्छी सेहत और लंबी-खुशहाल जिंदगी के लिए यारी-दोस्ती और सोशल रिलेशन्स जरूरी हैं। दोस्तों संग होने वाली बैठकी और बतकही का असर कुछ मामलों में दवाइयों जितना असरदार हो सकता है।

लेकिन इस फायदे के लिए जमाने भर को अपना दोस्त बनाने या कहने की जरूरत नहीं है। ‘वेरी वेल माइंड’ की एक रिपोर्ट बताती है कि दोस्ती के जो फायदे हमारी बॉडी, माइंड और ओवरऑल वेलबीइंग को मिलते हैं, उसके लिए दुनिया भर की भीड़ नहीं चाहिए। सिर्फ चंद जिगरी यार ही काफी हैं।

दूसरी ओर, दिखावटी दोस्तियों से दिल और दिमाग दुरुस्त रहेगा, उम्र लंबी होगी, ऐसी उम्मीद बेमानी है। उल्टे ऐसी दोस्ती से तमाम नुकसान ही होते हैं।

ऐसे में जरूरी है कि दोस्ती बराबरी की बुनियाद पर विकसित हो। दिखावटी, बनावटी और एकतरफा दोस्तों से जितनी जल्दी किनारा कर लिया जाए, उतना ही बेहतर है।

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