34 मिनट पहलेलेखक: शैली आचार्य
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अमेरिका की मोबाइल कम्प्यूटिंग कंपनी ‘द जेबरा’ के एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया में 50% से ज्यादा लोगों को ड्राइविंग से डर लगता है। कहीं जाने से पहले या गाड़ी चलाते वक्त उनके हाथ कांपने लगते हैं, मन में घबराहट होती है और फिजिटिंग होती है यानी पैर हिलने लगते हैं।
यदि आपको भी ड्राइविंग करते समय कंपकंपी महसूस होती है, दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और घबराहट महसूस होती है या ड्राइविंग के बारे में सोचने भर से ही बेचैनी होने लगती है तो हो सकता है कि आपको भी ड्राइविंग एंग्जाइटी हो।
ड्राइविंग एंग्जाइटी क्यों होती है? गाड़ी चलाते समय इस स्ट्रेस और एंग्जाइटी से कैसे निपटें?
इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे आज के ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में।
ड्राइविंग का डर कैसा होता है
ड्राइविंग एंग्जाइटी को अच्छे से समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि जब आपको यह हो रही है, तब क्या स्थिति है। स्ट्रेस, डर या एंग्जाइटी तब होते हैं, जब हम खुद को किसी मुश्किल या तनावपूर्ण स्थिति में पाते हैं। क्या पता आप किसी काम, पैसे या रिश्तों से जुड़ी किसी समस्या को लेकर स्ट्रेस में हैं। इन कारणों से भी कई बार ड्राइविंग करते वक्त डर महसूस हो सकता है।
ड्राइविंग के समय हमें पूरा फोकस सड़क पर, आस-पास से आ रही गाड़ियों पर और गाड़ी की स्पीड पर करना होता है, जैसेकि कब स्पीड स्लो करनी है, कब ब्रेक लगाना है, कब गाड़ी को मोड़ना है। यह सब साथ में मैनेज करना मुश्किल होता है और ऐसे में स्ट्रेस हो सकता है। इस बीच कोई जरूरी कॉल आ जाए तो स्ट्रेस का लेवल और बढ़ सकता है।
इसका परिणाम यह होता है कि हमें ड्राइविंग करते वक्त डर लगने लगता है। नीचे ग्राफिक में देखें कि ड्राइविंग के दौरान डर लगने के संकेत क्या हैं-
ड्राइविंग एंग्जाइटी के लक्षण
हर इंसान स्ट्रेस के लक्षणों को अलग-अलग तरीके से अनुभव करता है क्योंकि कुछ लक्षण अचानक सामने आ सकते हैं या कुछ दूसरी चिंताजनक स्थितियों की वजह से हो सकते हैं। कुछ लक्षण ड्राइविंग के कुछ देर पहले से हो सकते हैं, जैसेकि आप घर से किसी से झगड़ा करके निकले हों। इसलिए आपको ड्राइविंग के दौरान डर के लक्षण अचानक या कुछ समय तक ड्राइविंग करने के बाद भी अनुभव हो सकते हैं।
ड्राइविंग एंग्जाइटी और फोबिया में क्या अंतर है
ड्राइविंग करते वक्त थोड़ा स्ट्रेस महसूस हो सकता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो गाड़ी में बैठने के बारे में सोचकर ही डर जाते हैं। जब यह डर ज्यादा गंभीर हो जाए तो यह फोबिया हो सकता है।
साइंस की भाषा में ड्राइविंग के डर को एमैक्सोफोबिया (Amaxophobia) कहते हैं। इससे ग्रसित लोग ड्राइविंग करने से खौफ खाते हैं। यदि आपको कोई फोबिया है तो आप किसी भी स्थिति के बारे में अधिक चिंता कर सकते हैं। यहां तक कि गाड़ी चलाने जैसी सामान्य चीज के बारे में भी।
- एमैक्सोफोबिया में ड्राइविंग का डर उस लेवल तक हो जाता है कि उसका नाम सुनते ही दिमाग में तमाम तरह के नकारात्मक ख्याल आने लगते हैं।
- इस डर से ग्रस्त कुछ लोगों को ड्राइविंग से इतना ज्यादा स्ट्रेस हो सकता है कि वे काम पर जाने में भी हिचकिचाते हैं। बाकी जगहों पर भी जाने से बचते हैं। वे कहीं भी जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ही इस्तेमाल करते हैं।
- ड्राइविंग से जुड़ा कुछ फोबिया ऐसा भी हो सकता है कि कोई किसी और की ड्राइविंग पर भरोसा न कर पाए। वो किसी ऐसी गाड़ी में न बैठे, जिसे कोई और चला रहा हो। ऐसे लोग केवल खुद की ही ड्राइविंग पर भरोसा करते हैं, किसी अन्य व्यक्ति की नहीं।
- ऐसा भी हो सकता है कि जरूरी नहीं कि कोई ड्राइविंग करने से डरता हो, लेकिन उसे कार दुर्घटना में घायल होने या मरने से ज्यादा डर लगता हो।
ड्राइविंग एंग्जाइटी पर कैसे काबू पाएं
यदि आप ऊपर दिए गए स्ट्रेस और चिंता के लक्षणों को अनुभव कर रहे हैं तो इससे उबरने के कुछ तरीके जानने जरूरी हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक से समझिए-
इन तरीकों से ड्राइिवंग एंग्जाइटी को कर सकते हैं कम
- अगर आप ड्राइविंग की शुरुआत कर रहे हैं तो इसके लिए आपको किसी खुले एरिया का चुनाव करना चाहिए ताकि पूरा स्पेस मिल सके। इससे डर भी कम लगेगा और आप बिना किसी डिस्टरबेंस के ड्राइव कर सकेंगे।
- आप अपने घर के आसपास से ड्राइविंग की शुरुआत कर सकते हैं। जाना-पहचाना क्षेत्र होने से आपको एंग्जाइटी से निपटने में मदद मिलेगी।
- गाड़ी लेकर बहुत दूर और अनजान रास्तों पर न जाएं। ऐसी जगह पर आपको घबराहट महसूस हो सकती है।
- ड्राइविंग टाइम को धीरे-धीरे बढ़ाएं। इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
- ड्राइव करते समय बिल्कुल भी घबराएं नहीं। अपने आप पर विश्वास रखें।
- अकेले ड्राइिवंग करने से बचें। हमेशा किसी के साथ ही जाएं।
- हर दिन की छोटी सफलता के लिए खुद को शाबासी दें। अपने सक्सेस रेट को रोज थोड़ा-थोड़ा बढ़ाने की कोशिश करें।
- हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें।
- हर दिन अपना फीडबैक डायरी में नोट करें और उसमें धीरे-धीरे सुधार लाने की कोशिश करें।