1 घंटे पहलेलेखक: संदीप सिंह
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते दिनों डीजे की तेज आवाज से 13 वर्षीय समर बिल्लौरे की मौत हो गई। परिवार के लोगों के मुताबिक, दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए जा रहे चल समारोह में तेज आवाज में डीजे बज रहा था। डीजे की आवाज सुनकर समर भीड़ में शामिल हो गया और नाचने लगा। तभी अचानक डीजे का साउंड तेज होने पर समर गिरकर बेहोश हो गया। समर को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डीजे की तेज आवाज के कारण मौत का यह पहला मामला नहीं है।
बीते 9 सितंबर को ऐसा ही एक केस छत्तीसगढ़ से सामने आया था। जहां बलरामपुर जिले में एक 40 वर्षीय युवक की डीजे की तेज आवाज से सिर की नस फट गई। आनन-फानन में युवक को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
आज के दौर में धार्मिक आयोजनों और शादी समारोह में तेज आवाज में डीजे बजाने का चलन बढ़ता जा रहा है, जो बेहद चिंता का विषय है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 12 से 35 वर्ष की आयु के 1 अरब से अधिक लोगों को तेज म्यूजिक और लंबे समय तक तेज शोर के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम होने का खतरा है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि डीजे की तेज आवाज कितनी खतरनाक है? साथ ही जानेंगे कि-
- डीजे की तेज आवाज का सेहत पर क्या असर पड़ता है?
- तेज शोर को लेकर सरकार की क्या गाइडलाइन है?
एक्सपर्ट: डॉ. रचित सक्सेना, सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियक सर्जरी, नारायणा हॉस्पिटल (गुरुग्राम)
सवाल- हमारे कानों के लिए कितनी तेज आवाज सही है?
जवाब- आवाज यानी ध्वनि की तीव्रता मापने की इकाई डेसिबल (DB) है। तेज आवाज पर रिसर्च करने वाली संस्था हियरिंग हेल्थ फाउंडेशन के मुताबिक, इंसान के लिए 70 डेसिबल या उससे कम आवाज सेफ मानी जाती है। यह दो लोगों के बीच होने वाली सामान्य बातचीत की आवाज होती है। हालांकि अगर कोई व्यक्ति ऊंची आवाज में कानों के पास बोल रहा है तो उसकी आवाज का डेसिबल लेवल नॉर्मल से अधिक हो सकता है।

सवाल- कितने डेसिबल से ज्यादा शोर या तेज आवाज खतरनाक हो सकती है?
जवाब- डॉ. रचित सक्सेना बताते हैं कि लगातार 70 डेसिबल से ज्यादा के शोर के संपर्क में रहना खतरनाक है। हमारे पर्सनल म्यूजिक डिवाइस यानी इयरफोन, इयरबड्स की आवाज 60% वॉल्यूम लेवल पर 75-80 डेसिबल होती है। फुल वॉल्यूम पर यह आवाज 110 डेसिबल के करीब पहुंच जाती है। अगर कोई व्यक्ति 85 डेसिबल से ज्यादा शोर में प्रतिदिन 8 घंटे से ज्यादा रहता है तो उसकी सुनने की क्षमता कम होने हो सकती है। ध्यान रहे कि जितना ज्यादा डेसिबल लेवल बढ़ेगा, हमारा सेफ लिसनिंग टाइम कम होता जाएगा।
सवाल- तेज शोर से किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं?
जवाब- सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, तय लिमिट से ज्यादा बढ़ता डेसिबल लेवल न सिर्फ सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। तेज शोर से झुंझलाहट और चिड़चिड़ापन हो सकता है। इसके अलावा तेज आवाज नींद न आने की समस्या समेत दिल से जुड़ी बीमारियों का कारण भी बन सकती है।
नीचे दिए ग्राफिक में देखिए कि तेज शोर से किस तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

सवाल- तेज डीजे या लाउडस्पीकर की आवाज हार्ट डिजीज का कारण कैसे बन सकती है?
जवाब- डॉ. रचित सक्सेना बताते हैं कि हमारे कानों और दिल का सीधा कनेक्शन होता है। यानी जो भी आवाज कानों में पड़ती है वह नसों के जरिए दिल तक पहुंचती है। जब लगातार डीजे का तेज साउंड कानों में पड़ता है तो हार्ट बीट्स बढ़ जाती हैं। इससे स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डर बढ़ता है। ऐसी स्थिति में कान की नसों में खून गाढ़ा होने लगता है। इसके लंबे समय तक रहने से हार्ट अटैक हो सकता है।
सवाल- डीजे या लाउडस्पीकर की तेज आवाज से किन लोगों को ज्यादा खतरा है?
जवाब- अमेरिका के न्यू जर्सी मेडिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत ज्यादा शोर वाले इलाके में रहने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। ये आंकड़ा उन इलाकों में अधिक बढ़ जाता है, जहां एयरपोर्ट होते हैं। इन इलाकों में हार्ट अटैक का रेट 72% तक बढ़ जाता है।
इसके अलावा बच्चों, बुजुर्गों और कुछ हेल्थ कंडीशंस वाले लोगों के लिए भी तेज आवाज बेहद खतरनाक है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए।

सवाल- सरकार की तरफ से तेज आवाज को लेकर क्या नियम है?
जवाब- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने अलग-अलग इलाकों के लिए शोर के अलग-अलग लेवल तय किए हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक से इसे समझिए।

सवाल- तेज शोर में खुद का कैसे ख्याल रखें?
जवाब- डॉ. रचित सक्सेना बताते हैं कि तेज शोर के कारण अगर किसी की सुनने की क्षमता कमजोर हो जाए तो उसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय परहेज है। जहां बहुत तेज डीजे या लाउडस्पीकर बज रहा हो, किसी मशीन की तेज आवाज आ रही हो, ऐसी जगहों पर बिल्कुल न जाएं। अगर जाना बहुत ही ज्यादा जरूरी है तो कुछ सावधानियां जरूर बरतें।
नीचे दिए ग्राफिक से इन्हें समझिए।

सवाल- किस जगह पर कितना शोर है, इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं?
जवाब- अगर आप किसी कंस्ट्रक्शन साइट, नाइट क्लब या किसी ऐसी जगह काम करते हैं, जहां बहुत तेज शोर-शराबे वाला माहौल रहता है। उस जगह पर कितना शोर है यह जानने के लिए आप टेक्नोलॉजी की मदद ले सकते हैं। आजकल कई मोबाइल एप्लिकेशन हैं, जिसमें उस जगह का निर्धारित डेसिबल लेवल माप सकते हैं। नीचे कुछ मोबाइल ऐप्स के नाम दिए गए हैं। जिन्हें आप एप्पल ऐप स्टोर या गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
- Decibel X
- SPL Meter
- Sound Meter & Noise Detector
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