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Short Sleep Syndrome Symptoms; Causes, Treatment Explained | सेहतनामा- ये जापानी बिजनेसमैन सिर्फ 30 मिनट सोते हैं: क्या है शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम, विश्व में 2% लोगों को यह सिंड्रोम, इसकी नकल न करें

7 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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एक इंसान को स्वस्थ रहने के लिए दिन में लगभग 8 से 9 घंटे की नींद की जरूरत होती है। अगर किसी को लगातार पर्याप्त नींद न मिले तो मूड पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है। रोजाना के कामकाज में कठिनाई हो सकती है। कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

लेकिन जापान के एक 40 वर्षीय आंत्रप्रेन्योर दाइसुके होरी की कहानी कुछ और ही है। वह पिछले 12 साल से प्रतिदिन सिर्फ 30 मिनट की नींद लेते हैं। उन्होंने अपने दिमाग को इस तरह प्रशिक्षित किया है कि वह न्यूनतम नींद लेकर भी स्वस्थ रह सकते हैं और रोज के कामकाज भी कुशलता से कर सकते हैं।

अब वह शॉर्ट स्लीप ट्रेनिंग एसोसिएशन चला रहे हैं। जहां उन्होंने 2100 से अधिक स्टूडेंट्स को सिखाया है कि कैसे कम-से-कम नींद लेकर भी स्वस्थ रहा जा सकता है।

होरी खुद नहीं सोते और स्वस्थ रहते हैं, ये बात तो ठीक है। लेकिन दूसरों को यह सिखाना कि कम सोकर कैसे स्वस्थ रहा जाए, इस बात से मेडिकल एक्सपर्ट सहमत नहीं हैं।

नई दिल्ली में PSRI हॉस्पिटल में पल्मनोलॉजी विभाग की सीनियर कंसल्टेंट नीतू जैन के मुताबिक, किसी ट्रेंनिग के जरिए शरीर के लिए जरूरी नींद को कम करने के परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। इससे क्रॉनिक स्लीप डिप्रेवेशन और कई बीमारियों का जोखिम हो सकता है। अगर किसी को खुद ही कम नींद आती है तो यह शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के कारण हो सकता है। कम नींद को मेंटल ट्रेनिंग की तरह बढ़ावा देना सही अप्रोच नहीं है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम की। साथ ही जानेंगे कि-

  • शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम क्या होता है?
  • इसके लक्षण और कारण क्या हैं?
  • क्या यह कोई बीमारी है?
  • अच्छी नींद के लिए क्या करें?

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम क्या है

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम (SSS) को शॉर्ट स्लीप सिंड्रोम भी कहते हैं। यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें लोगों को अधिकांश लोगों की तुलना में कम नींद की जरूरत होती है। शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम से गुजर रहा शख्स हर रात 4 से 6 घंटे या उससे भी कम सोता है, लेकिन जागने पर अन्य लोगों की तरह ऊर्जावान और स्वस्थ बना रहता है।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं

इसका मुख्य लक्षण हर रात 4 से 6 घंटे सोना है। सोने के लिए अतिरिक्त समय होने पर भी इससे ज्यादा नींद नहीं आती। इस सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्ति की नींद शॉर्ट और फिक्स होती है। कम सोने के लिए उसे अलग से कोई मेहनत और प्रयास नहीं करना पड़ता। यह बहुत ऑर्गेनिक ढंग से होता है।

इसके क्या-क्या लक्षण हैं, ग्राफिक में देखिए।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम कितना कॉमन है

साइंस जर्नल न्यूरॉन में साल 2019 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, यह एक रेयर कंडीशन है। यह कंडीशन करीब एक लाख लोगों में से सिर्फ 2-4 को ही प्रभावित करती है। इसका मतलब है कि हो सकता है कि हम पूरी जिंदगी गुजार दें और कभी इस सिंड्रोम वाले किसी इंसान से हमारी मुलाकात ही न हो।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम क्यों होता है

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के कारणों पर लगातार स्टडीज हो रही हैं। इसके पीछे अभी तक कोई बहुत सटीक कारण सामने नहीं आए हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, जिन लोगों को प्राकृतिक रूप से कम नींद की जरूरत महसूस होती है, उनके जीन म्यूटेशन की पहचान की गई है। इनके DEC2 जीन या ADRB1 जीन में परिवर्तन देखा गया है। रिसर्चर्स का मानना ​​है कि इन आनुवांशिक परिवर्तनों के कारण ही शॉर्ट स्लीप सिंड्रोम वाले लोग कम नींद के बावजूद तरोताजा महसूस कर पाते हैं। आमतौर पर नींद में ये परिवर्तन किशोरावस्था में आते हैं।

हालांकि कुछ लोगों के साथ अधिक उम्र में भी ये समस्याएं हो सकती हैं। इसके पीछे हॉर्मोनल बदलावों को कारण माना जाता है।

कम नींद के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम खतरनाक

डॉ. नीतू जैन के मुताबिक, हमें किसी शख्स की कम नींद की क्षमता से प्रभावित नहीं होना चाहिए। किसी व्यक्ति में प्रकृतिक तौर पर यह क्षमता हो सकती है कि वह 6 से कम घंटे सोकर भी तरोताजा रह सकता है। जबकि दुनिया के ज्यादातर लोगों को एक दिन में 8 से 9 घंटे नींद की जरूरत होती है।

अगर हम भी कम नींद की नकल करेंगे तो इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ेगा। इससे ब्रेन का कॉग्निटिव फंक्शन कमजोर हो सकता है। इसका हमारे पाचन तंत्र, इम्यून सिस्टम और हार्ट हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ सकता है। लगातार कई दिनों तक कम नींद लेने से क्रॉनिक स्लीप डिप्रेवेशन की स्थिति बन सकती है। इससे कई खतरनाक बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

क्या शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम का इलाज संभव है

डॉक्टर नीतू कहती हैं कि हमें यह समझना होगा कि शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम कोई स्लीप डिसऑर्डर या बीमारी नहीं है। यह कुछ रेयर लोगों में पाई जाने वाली रेयर स्लीप कंडीशन है।

इससे अभी तक किसी तरह के कोई हेल्थ इश्यूज नहीं देखे गए हैं। इसलिए इसके इलाज की भी कोई जरूरत नहीं है। कुछ मामलों में इस स्लीप कंडीशन को नॉर्मल कंडीशन में लाने के लिए कुछ ट्रीटमेंट भी दिए गए हैं। उनमें सफलता नहीं मिली है।

अच्छी नींद के लिए जरूरी है स्लीप हाइजीन

अच्छी और क्वालिटी नींद के लिए स्लीप हाइजीन जरूरी है। स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, जिन लोगों को नींद आने में या बार-बार नींद खुल जाने की परेशानी होती है। उन्हें स्लीप हाइजीन के ये टिप्स फॉलो करने चाहिए।

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