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Pune Accountant Death; Ideal Work Timings | Working Long Hours Side Effects | जरूरत की खबर- वर्कलोड से हो रही लाखों मौतें: सबसे ज्यादा घंटे काम करने वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर, जानें इसके नुकसान और बचाव

33 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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हाल ही में पुणे में काम करने वाली एक 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट की कथित तौर पर ज्यादा वर्कलोड के कारण दुखद और असामयिक मृत्यु की खबर ने लोगों का झकझोर कर रख दिया। इस घटना ने न केवल हर किसी को परेशान किया, बल्कि टॉक्सिक वर्कप्लेस कल्चर और कॉर्पोरेट जगत में ओवरवर्क इश्यू पर एक महत्वपूर्ण बहस भी खड़ी कर दी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) के मुताबिक, 2016 में लंबे समय तक काम करने के कारण स्ट्रोक और कोरोनरी हार्ट डिजीज से 745,000 लोगों की मृत्यु हुई, जो वर्ष 2000 की तुलना में 29% ज्यादा है। स्टडी ये भी बताती है कि 35-40 घंटे काम करने की तुलना में प्रति सप्ताह 55 या इससे अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35% और कोरोनरी हार्ट डिजीज से मृत्यु का खतरा 17% बढ़ जाता है।

तो आज जरूरत की खबर में हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे और जानेंगे कि-

  • दुनिया के अन्य देशों में काम के घंटे कितने हैं?
  • परफेक्ट वर्क टाइमिंग क्या होनी चाहिए?
  • ज्यादा घंटे काम करने से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?

सवाल- ओवरवर्क इश्यू क्या है?

जवाब- जब आप ऑफिस के काम के बोझ को निपटाने के लिए एक्स्ट्रा आवर में वर्क करते हैं या ऑफिस वर्क को घर पर करते हैं, इसे ही ओवरवर्क करना कहते हैं। अगर आप इसे रोजाना करते हैं तो ये आपकी मेंटल हेल्थ, फिजिकल हेल्थ और सोशल लाइफ पर असर डालता है।

सवाल- भारत में लोग एक सप्ताह में कितने घंटे काम करते हैं?

जवाब- भारत दुनिया के सबसे लंबे वर्किंग आवर्स वाले देशों में से एक है, जहां कर्मचारी औसत से अधिक घंटे काम करते हैं। ILO के मुताबिक यहां प्रति कर्मचारी सप्ताह में 46.7 घंटे वर्क करते हैं। साथ ही 51% कर्मचारी प्रति सप्ताह 49 या उससे ज्यादा घंटे काम करते हैं, जिससे भारत दुनिया के सबसे ज्यादा काम के घंटों वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।

नीचे दिए गए ग्राफिक के जरिए जानें कि दुनिया के किन देशों में लोग सप्ताह में सबसे ज्यादा घंटे काम करते हैं।

इस आंकड़े को देखने के बाद ये तो साफ है कि भारत में 50% से अधिक लोग सप्ताह में 49 घंटे से अधिक काम करते हैं। ये आंकड़े वाकई हैरान करने वाले हैं। हालांकि कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां काम के घंटे बेहद कम हैं। यहां कर्मचारियों के हितों का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है। नीचे ग्राफिक में सबसे कम घंटे काम करने वाले 10 देशों की लिस्ट देख सकते हैं।

सवाल- विकसित देशों में एक सप्ताह में कितने घंटे काम करते हैं लोग?

जवाब- आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के विकसित देशों में लोग एक सप्ताह में 40 घंटे से भी कम काम करते हैं, जो WHO के बताए एक स्वस्थ मानक पर भी फिट बैठता है। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन और स्विटजरलैंड समेत कई विकसित देश शामिल हैं। नीचे ग्राफिक में इस बारे में जानकारी दी गई है।

सवाल- एक सप्ताह में कितने घंटे काम करना चाहिए?

जवाब- WHO के अनुसार एक व्यक्ति को सप्ताह में औसतन 35-40 घंटे वर्क करना चाहिए। सप्ताह में कुल 168 घंटे होते हैं। प्रोफेशनल काम के कुल घंटे इसके एक चौथाई से ज्यादा नहीं होने चाहिए। हफ्ते के तकरीबन 56 घंटे सोने में जाते हैं, 16-17 घंटे घर के कामों में और बाकी का बचा समय रीक्रिएशन के लिए होना चाहिए। इससे आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में एक संतुलन बना रहता है।

सवाल- ज्यादा घंटे काम करने से सेहत पर क्या असर पड़ता है?

जवाब- लंबे समय तक काम करने से आपके स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यहां पॉइंटर्स में इस बारे में विस्तार से जानिए।

  • तय मानक वर्किंग आवर से बहुत ज्यादा काम करने से थकान के कारण नींद संबंधी समस्या हाे सकती है।
  • हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है, जिससे स्ट्रोक, हार्ट डिजीज और किडनी फेलियर का खतरा रहता है।
  • डिप्रेशन और एंग्जाइटी का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • फैमिली को टाइम न दे पाने से परिवार में अनबन हो सकती है, जिससे आपकी पर्सनल लाइफ भी प्रभावित होती है।
  • आपकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो सकती है।
  • मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है।
  • आपको अपना काम निरर्थक लगने लगता है।
  • लगातार अपने काम के प्रदर्शन के बारे में चिंतित रहते हैं।
  • आपको घर और काम के बीच सीमाएं स्थापित करने में परेशानी होती है।
  • आप खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं।

इसलिए भी बढ़ता है वर्कलोड

हो सकता है कि आप उस प्रोफेशन में काम कर रहे हों, जिसमें आपकी रुचि न हो। इसलिए आपको वही काम चुनना चाहिए, जिसमें आपका इंटरेस्ट हो। जबरदस्ती का प्रोफेशन न चुनें। ये भी आपके काम के बोझ को बढ़ाता है। बॉडी को भी तभी काम करने में मजा आता है, जब उसे काम करने में इंटरेस्ट हो। लेकिन जब काम में रुचि न हो तो दिमाग को थकान या स्ट्रेस फील होता है। नीचे दिए गए ग्राफिक से वर्कलोड कम करने की टिप्स ले सकते हैं।

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