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Consumer Right; Upbhokta Forum Complaint Procedure Explained | Bhopal | जरूरत की खबर- 11 साल बाद उपभोक्ता को मिला न्याय: जानें अपने अधिकार, कंज्यूमर कोर्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन कैसे शिकायत करें

6 दिन पहलेलेखक: संदीप सिंह

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कहते हैं कि ‘जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड’ यानी न्याय में देरी अन्याय के समान है। यह सच है, लेकिन कुछ केस देरी के बाद भी एक नजीर पेश करते हैं। ऐसा ही एक केस मध्यप्रदेश के राज्य उपभोक्ता फोरम का है, यहां एक 11 वर्ष पुराने मामले में अभी फैसला आया है।

दरअसल वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में एक युवक ने फुटवेयर की दुकान से 600 रुपए के जूते खरीदे। लेकिन 2 दिन बाद ही जूते का सोल निकलकर अलग हो गया। जब युवक जूता बदलने के लिए दुकान में पहुंचा तो दुकानदार ने जूता बदलने से इंकार कर दिया और युवक के साथ बदतमीजी की।

इसके बाद युवक ने जिला उपभोक्ता फोरम में मामले की शिकायत की। दो माह तक चले प्रकरण में युवक को मामूली मुआवजा दिया गया, जिससे युवक संतुष्ट नहीं हुआ। उसने राज्य उपभोक्ता फोरम, भोपाल में इस मामले की शिकायत की। राज्य उपभोक्ता फोरम में वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2024 तक केस चला।

11 वर्ष तक अपने हक व अधिकार की लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार युवक को इंसाफ मिला। राज्य उपभोक्ता फोरम ने दुकानदार को आदेश दिया है कि ग्राहक को 600 रुपए के जूते के बदले मूल कीमत के अलावा वार्षिक ब्याज दर 6%, ग्राहक को हुए शारीरिक व मानसिक क्षति के लिए 1000 रुपए और अपील में खर्च हुए 1000 रुपए की राशि सहित कुल 3040 रुपए का भुगतान करे।

हालांकि यह राशि बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इतने साल बाद भी फैसला उस व्यक्ति के पक्ष में आया।

इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि उपभोक्ता अधिकार कानून की? साथ ही जानेंगे कि-

  • भारत में उपभोक्ता कानून के तहत ग्राहकों को कौन से अधिकार दिए गए हैं?
  • ग्राहकों के साथ कोई गड़बड़ी या धोखाधड़ी होने पर वह कहां शिकायत कर सकते हैं?
  • शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है?

एक्सपर्ट: एडवोकेट आलोक दीक्षित, लीगल एडवाइजर

सवाल- भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ग्राहकों के क्या कानूनी अधिकार हैं?

जवाब- आज का दौर बाजारवाद का है, जिसमें ग्राहक लुभावने विज्ञापनों के झांसे में आकर किसी भी प्रोडक्ट पर यकीन कर लेते हैं और कुछ भी खरीद लेते हैं। देश में कई ई-कॉमर्स साइ्टस हैं, जो हर रोज करोड़ों के सामान बेचती हैं।

बाजार के इस बढ़ते प्रभाव के कारण ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसलिए हर ग्राहक को अपने अधिकार पता होने चाहिए। भारत में उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 बनाया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उपभोक्ताओं को 6 मौलिक अधिकार देता है।

नीचे दिए ग्राफिक में देखिए।

आइए, ग्राफिक में दिए पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

  • हर ग्राहक को किसी प्रोडक्ट की मात्रा, शुद्धता, मानक, कीमत के अलावा गुणवत्ता के बारे में जानने का पूरा अधिकार है।
  • उपभोक्ता अधिनियम ग्राहक को अपने मन-मुताबिक प्रोडक्ट चुनने का अधिकार देता है।
  • अगर उपभोक्ता के साथ शोषण हुआ है तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उसके निवारण का अधिकार देता है। इसमें शिकायत सही पाई जाने पर उपभोक्ता को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान भी शामिल है।

सवाल- अगर कोई दुकानदार खराब सामान वापस नहीं करता है तो ग्राहक के पास क्या अधिकार हैं?

जवाब- जब कोई ग्राहक किसी दुकान या मॉल से कोई सामान खरीदता है और उसमें किसी तरह की खराबी आती है तो ऐसे में कोई दुकानदार खराब सामान को रिटर्न या रिप्लेस करने से इनकार नहीं कर सकता है। दुकानदार या विक्रेता खराब सामान वापस लेने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। लेकिन अगर वह ऐसा करता है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत कर सकता है। आयोग आपकी शिकायत को सुनकर उसका समाधान करेगा।

ये अदालतें तीन प्रकार की होती हैं।

  • जिला स्तरीय अदालत यानी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण न्यायाधिकरण (DCDRF)
  • राज्य स्तरीय अदालत यानी राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC)
  • राष्ट्रीय स्तरीय अदालत यानी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC)

सवाल- दुकानदार की शिकायत कहां और कैसे की जा सकती है?

जवाब- ग्राहक ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से दुकानदार के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए।

सवाल- ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है?

जवाब- भारत सरकार के राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा 2020 में ‘ई-दाखिल’ पोर्टल लॉन्च किया गया है। इस पोर्टल के जरिए ग्राहक ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इस पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें।

  • सबसे पहले ई-दाखिल पोर्टल https://edaakhil.nic.in/edaakhil/ पर जाएं।
  • इसके बाद पेज की बांई तरफ ‘शिकायत’ के ऑप्शन पर क्लिक करें।
  • इसमें अपना नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल ID रजिस्टर करें।
  • इसके बाद एक ड्रॉप-डाउन मेनू खुलकर आएगा, जिसमें अपने सामान की वैल्यू के मुताबिक अमाउंट तय कर सकते हैं।
  • इसमें नीचे दिए बॉक्स में अपनी शिकायत के बारे में पूरी जानकारी डिटेल में लिखें। साथ ही शिकायत से जुड़े डॉक्यूमेंट्स अटैच करें।
  • स्क्रीन पर दिए गए कैप्चा कोड को दर्ज करने के बाद सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करें।
  • सबमिट करने के बाद उपभोक्ता को एक कम्प्लेन ID मिल जाएगी, जिससे आप अपनी शिकायत को ट्रैक कर सकते हैं।

सवाल- जिला फोरम या राज्य फोरम में कैसे शिकायत दर्ज कर सकते हैं?

जवाब- एडवोकेट आलोक दीक्षित बताते हैं कि शिकायतकर्ता एक सादे कागज पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है, जिसे बाद में नोटरीकृत किया जाना जरूरी है। यह नोटरीकृत शिकायत पत्र उपभोक्ता खुद या किसी अधिकृत एजेंट के माध्यम से जिला या राज्य फोरम में भेज सकता है। इसके लिए उपभोक्ता के पास खरीदे गए सामान का पक्का बिल होना जरूरी है।

सबसे पहले शिकायतकर्ता को जिला फोरम में शिकायत करनी होती है। अगर जिला फोरम के फैसले से शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है तो वह आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर राज्य फोरम में अपील दायर कर सकता है।

  • 20 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक की शिकायतों के लिए न्यायालय शुल्क 2,000 रुपये है, जबकि 1 करोड़ रुपये तक की शिकायतों के लिए न्यायालय शुल्क 4,000 रुपये है।

सवाल- राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC) में अपील दायर करने के लिए किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है?

जवाब- अपील दायर करने के लिए शिकायत की कॉपी, सामान खरीद की रसीद, उससे संबंधित और कोई भी डॉक्यूमेंट, साक्ष्य, जो जिला स्तर पर शिकायत के दौरान जमा किए हैं, उन सबकी कॉपी संलग्न होना जरूरी है। साथ ही शिकायत पत्र पर दोनों पक्षों का सही नाम और पता लिखा होना चाहिए। इसके साथ ही जिला फोरम द्वारा पारित आदेश की प्रमाणित प्रति होनी चाहिए।

सवाल- राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में कैसे शिकायत दर्ज कर सकते हैं?

जवाब- उपभोक्ता राज्य फोरम के आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में अपील दायर कर सकता है।

  • NCDRC में शिकायत दर्ज करने के लिए न्यायालय शुल्क 5000 रुपए है। इसमें डिमांड ड्राफ्ट रजिस्ट्रार, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के नाम पर बनता है।
  • इसके अलावा राज्य या राष्ट्रीय आयोग के समक्ष अपील दायर करने के लिए कोई शुल्क नहीं है।
  • आप NCDRC के आदेश के विरुद्ध आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।

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