32 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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जरा सोचिए! आपका बेटा घर में बॉल खेल रहा है। अचानक उसकी बॉल डाइनिंग टेबल पर रखी बोतल से जाकर टकराती है और वह गिरकर टूट जाती है, फिर आप क्या करेंगे। ऐसे ही अगर बच्चा बार-बार कहने के बावजूद होमवर्क पूरा नहीं कर रहा है या लगातार वही काम कर रहा है, जिसके लिए आप उसे कई बार मना कर चुके हो। ऐसे तमाम कारण हैं, जब मां-बाप बच्चे की पिटाई कर देते हैं। लेकिन क्या कभी ये सोचा है कि इस पिटाई का बच्चे की मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, बच्चों और युवाओं के पालन-पोषण में फिजिकल पनिशमेंट की कोई भूमिका नहीं है। ये उनकी ग्रोथ में केवल बाधक ही बनता है।
बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली संस्था यूनिसेफ ने साल 2017 में एक रिपोर्ट जारी की थी। ‘ए फैमिलियर फेस: वायलेंस इन द लाइफ ऑफ चिल्ड्रेन एंड एडोलसेंट्स’ नाम की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 2 से 4 साल के लगभग 30 करोड़ बच्चे घर पर अपने केयरटेकर द्वारा साइकोलॉजिकल एग्रेसिवनेस या फिजिकल पनिशमेंट का अनुभव करते हैं। इनमें अधिकांश बच्चों को सजा के तौर पर चेहरे, सिर या कान के आसपास थप्पड़ मारा जाता है।
तो आज रिलेशनशिप कॉलम में हम बच्चों को सजा के तौर पर दी जाने वाली फिजिकल पनिशमेंट के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- फिजिकल पनिशमेंट से बच्चों की मेंटल हेल्थ कैसे प्रभावित होती है?
- बच्चों को सिखाने या समझाने का सही तरीका क्या है?
दुनिया के प्रसिद्ध चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट रहे डॉ. हैम गिनोट ने अपनी किताब बिटवीन पेरेंट एंड चाइल्ड में फिजिकल पनिशमेंट के बारे में बात की है।
फिजिकल पनिशमेंट क्या है?
फिजिकल पनिशमेंट का उद्देश्य बच्चे को दर्द या तकलीफ का अनुभव कराना है, ताकि उसके व्यवहार या आदत को सुधारा जा सके। इसके लिए लोग आमतौर पर बच्चों को थप्पड़ मारकर डराते-धमकाते हैं। इसके अलावा वे बच्चों में डर पैदा करने के लिए कई अन्य तरीके भी अपनाते हैं।
नीचे ग्राफिक में देखें-
फिजिकल पनिशमेंट से बच्चों की सीखने की क्षमता होती प्रभावित
बच्चे थप्पड़ मारने के बाद तुरंत ही अपना काम बंद कर सकते हैं, लेकिन ये उन्हें लंबे समय तक अच्छा व्यवहार करने में मदद नहीं करता है। इससे बच्चे डर और तनाव महसूस कर सकते हैं, जिससे उनकी सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। वे कुछ भी नया करने से पहले अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगते हैं।
चाइल्ड एब्यूज एंड नेगलेक्ट जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, फिजिकल पनिशमेंट झेलने वाले बच्चों में एंग्जाइटी, डिप्रेशन और अन्य मेंटल हेल्थ की समस्याएं हो सकती हैं। ये प्रॉब्लम्स एडल्टहुड तक जारी रह सकती हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की एक रिसर्च के अनुसार, जो बच्चे फिजिकल पनिशमेंट का सामना करते हैं, उनका इंटेलिजेंस कोशेंट (IQ) लेवल कम होता है। फिजिकल पनिशमेंट से उत्पन्न तनाव मस्तिष्क के विकास, याद रखने की शक्ति और सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है।
नीचे दिए ग्राफिक में बच्चों को फिजिकल पनिशमेंट देने से होने वाले नुकसान के बारे में जानें-
फिजिकल पनिशमेंट के बिना बच्चों को कैसे समझाएं
अक्सर बच्चे ऐसा काम करते हैं, जो पेरेंट्स के लिए परेशान करने वाला होता है। लेकिन ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में पेरेंट्स का कूल रहना बहुत जरूरी है। नीचे पॉइंटर्स के जरिए इस स्थिति को मैनेज करने के बारे में जानें।
- बच्चे के गलत काम पर अपनी आवाज को लाउड न करें, धीरे-धीरे बोलें और आपा न खोएं।
- उसके गलत व्यवहार के पीछे की भावनाओं को स्वीकार करें।
- उसे समझाने की कोशिश करें।
- अपने बच्चे को उसके बुरे व्यवहार के परिणामों के बारे में समझाकर उसे सही काम करने का मौका दें।
- ऐसे पलों को मैनेज करने के बाद हमेशा नए सिरे से शुरुआत करें।
- ,बच्चे के उस समय पर नजर रखने की कोशिश करें, जब वह अच्छा काम करे। इस पर उसकी तारीफ करें और मुस्कुराहट के साथ उसे गले लगाएं।
- बच्चे के साथ खेलने, पढ़ने या बातचीत करने से पेरेंट्स को एक करीबी और प्यार भरा रिश्ता बनाने में मदद मिलती है।
- कई चीजें बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करती हैं। ऐसे में यह सोचें कि हमारा बच्चा वही गलत काम बार-बार क्यों कर रहा है।
अमेरिकन एसोशिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स भी कहता है कि बच्चों को फिजिकल पनिशमेंट नहीं देना चाहिए।
आप भी बच्चे को फिजिकल पनिशमेंट देते हैं तो करें ये काम
अधिकांश माता-पिता अक्सर फिजिकल पनिशमेंट का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि वे बच्चे के व्यवहार से क्रोधित हो जाते हैं। वे इसके जरिए अपना गुस्सा निकालते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो अपने बच्चे के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करें। ये आपके बच्चे को सिखाता है कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। इसके अलावा नीचे बताई गई कुछ बातों का भी ध्यान रखें।
बच्चों को समय देना जरूरी
किसी भी रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए उसे समय देना महत्वपूर्ण है। इसी तरह हमें अपने बच्चे के लिए भी समय निकालना चाहिए। इससे दोनों के बीच अच्छी बॉन्डिंग बनती है। मोबाइल पर समय गंवाने से बेहतर है कि अपने बच्चे के साथ खेलें।
अच्छी चीजों के लिए बच्चे की तारीफ करें
माता-पिता के रूप में हम अक्सर अपने बच्चों के बुरे व्यवहार पर ध्यान देते हैं और उसे बुरा-भला कहते हैं। हालांकि बच्चे हमेशा अपनी तारीफ से खुश होते हैं। इससे उन्हें प्यार और खास होने का एहसास होता है। ऐसे में अच्छे कामों के लिए उनकी तारीफ जरूर करें।
क्रिएटिव तरीके से ध्यान भटकाएं
जब आपका बच्चा गलत काम कर रहा हो तो किसी पॉजिटिव एक्टिविटी से उसका ध्यान खींचना एक उपयोगी स्ट्रेटजी साबित हो सकती है।