क्या आप अपनी पर्सनल बातें ऑफिस में साझा करते हैं। क्या ऑफिस के लोगों को पता है कि आपके घर में और आपकी पर्सनल जिंदगी में क्या चल रहा है। क्या ऑफिस के सहकर्मी सोशल मीडिया पर भी आपके दोस्त हैं और आपकी हर एक्टिविटी को फॉलो करते हैं। अगर ऐसा है तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हम अपनी जिंदगी का लगभग एक तिहाई हिस्सा ऑफिस में ही गुजार देते हैं। इसमें 8 घंटे की नींद और रोजाना के कामकाज का वक्त निकाल दें तो नौकरीपेशा शख्स की लगभग आधी एक्टिव लाइफ ऑफिस में ही गुजर जाती है। आधी जिंदगी यानी हमारे होने का एक बड़ा और अहम हिस्सा। इस दौरान हम ऑफिस के माहौल में इतना घुल-मिल जाते हैं कि उस जगह और वहां के कुछ लोगों को अपना समझने लगते हैं। फिर भरोसा करके हम कई ऐसी बातें भी उन्हें बता देते हैं, जो नहीं बतानी चाहिए। तो क्या दफ्तर को भी घर जैसा समझ सकते हैं? क्या कलीग्स से पर्सनल बातें शेयर कर सकते हैं? अगर कर सकते हैं तो इसकी सीमा क्या है? और अगर नहीं तो ऐसा क्यों? आज ‘वर्कप्लेस रिलेशनशिप’ में इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे। ऑफिस में पर्सनल लाइफ को प्राइवेट रखना क्यों जरूरी अपने निजी जीवन को निजी रखना आपको एक प्रोफेशनल छवि बनाने में मदद करता है। साथ ही यह आपको अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे वर्क रिलेशन डेवलप करने और बनाए रखने में भी सक्षम बनाता है। जिंदगी से जुड़ी पर्सनल बातें हमें ऑफिस में कलीग्स के साथ इसलिए नहीं शेयर करनी चाहिए क्योंकि इसका असर काम पर पड़ सकता है। प्रसिद्ध लेखिका मैरी फ्रांसेज विंटर्स ने इस विषय पर एक किताब लिखी है- ‘वी कांट टॉक अबाउट दैट एट वर्क।’ इस किताब में उन्होंने बताया है कि वर्कप्लेस पर पर्सनल लाइफ से जुड़ी किन बातों को साझा नहीं करना चाहिए और क्यों। जैसे धर्म, राजनीति और जाति से जुड़े विचार ऑफिस में शेयर करने से मतभेद हो सकता है। इससे टीमवर्क और काम पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि संवेदनशील विषयों पर कैसे बात की जाए और इन विषयों पर लोगों को अलग करने की बजाय उन्हें एक साथ कैसे लाया जाए। नीचे ग्राफिक में देखिए कि ऑफिस में किन बातों को प्राइवेट रखना चाहिए- पर्सनल रिलेशनशिप- आपको पर्सनल रिलेशनशिप से जुड़ी सभी बातों को ऑफिस में किसी भी कलीग्स के साथ नहीं शेयर करना चाहिए, चाहे वो आपका कितना भी अच्छा दोस्त क्यों न हो। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार आपकी बातें किसी और व्यक्ति के साथ लीक भी हो सकती हैं। साथ ही कुछ लोग आपको लेकर कोई राय बना सकते हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं- हेल्थ प्रॉब्लम्स के बारे में किसी और को बताना कोई बुरी बात नहीं है। अगर कोई बड़ी समस्या हो तो उसके बारे में ऑफिस के किसी दोस्त को बताकर ही रखना चाहिए ताकि इमरजेंसी में वे आपकी मदद कर सकें। लेकिन स्वास्थ्य से जुड़ी छोटी-छोटी डिटेल्स किसी से भी शेयर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आप बेफिजूल के सवालों से बच सकते हैं। साथ ही लोग आपको हर छोटी बात पर आंकेंगे नहीं। फैमिली प्रॉब्लम- जरूरी नहीं है कि ऑफिस में जो आपके दोस्त हैं, वो आपके शुभचिंतक ही हों। अक्सर हम घर की परेशानियों के बारे में किसी से शेयर करना चाहते हैं। इससे मन हल्का हो जाता है और आपको हिम्मत मिलती है। लेकिन जरूरी नहीं कि जिस भावना से आप उस बात को साझा कर रहे हैं, सामने वाला भी उसे उसी प्रकार से ले रहा हो। कुछ लोगों द्वारा इसका गलत फायदा भी उठाया जा सकता है। फाइनेंशियल डिटेल्स- ये तो हम सभी जानते हैं कि फाइनेंशियल डिटेल्स को हमें किसी के साथ भी शेयर नहीं करना चाहिए। बस यही बात हमें ऑफिस में भी ध्यान रखनी चाहिए। अपनी सैलरी, लोन, इन्वेस्टमेंट या फिर पैसों से जुड़ी समस्याओं को कभी शेयर नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो ये आपस में तुलना का माहौल बनाता है और लोगों के बीच एक जलन की भावना भी बन सकती है। आपके और आपके साथियों के बीच मनमुटाव भी हो सकता है। करियर प्लान और लक्ष्य- जब ऑफिस में हमारे अच्छे दोस्त बन जाते हैं तो हम उनसे सबकुछ शेयर कर लेते हैं। यहां तक कि अपने करियर प्लान के बारे में भी। हम आगे क्या करने वाले हैं, यह तक हम उन्हें बता देते हैं। लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि यह कलीग्स में कॉम्पिटिशन की भावना जगा सकता है। पॉलिटिकल और धार्मिक भावना- अपनी धार्मिक भावनाओं को हमें किसी के सामने व्यक्त नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आपकी निजी राय है। इसलिए भूलकर भी इसे किसी के साथ शेयर न करें। साथ ही राजनीति से जुड़े विचारों को भी अपने तक ही रखें क्योंकि जरूरी नहीं, जो आपके विचार हों, वही सामने वाले के भी हों। अगर आप इन चीजों को किसी के साथ शेयर करते हैं तो आपसी मतभेद हो सकता है। इससे बहस भी छिड़ सकती है। ऑफिस में पर्सनल बातें शेयर न करने के फायदे अपने निजी जीवन को निजी रखने से आपको एक पेशेवर छवि बनाने में मदद मिल सकती है। साथ ही आप अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे रिलेशन बना सकते हैं। कुछ लिमिट सेट करके और अपने आप पर कंट्रोल रखकर आप अपने काम और घर की दुनिया को अलग रख सकते हैं। इससे आपकी दोनों लाइफ बैलेंस रहेगी।
Source link